पल्लंगुजी पाठा गीत: एक सांस्कृतिक धरोहर
पल्लंगुजी न केवल एक मनोरंजक खेल है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। पल्लंगुजी पाठा गीत इस खेल की आत्मा को जीवंत रखते हैं और खिलाड़ियों के बीच उत्साह का संचार करते हैं।
पल्लंगुजी पाठा गीत का ऐतिहासिक महत्व
यह गीत सदियों से दक्षिण भारत के घर-घर में गूंजता आ रहा है। पल्लंगुजी के साथ जुड़े यह गीत न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि यह बच्चों को गणित और रणनीति सिखाने का एक मनोरंजक तरीका भी है।
पल्लंगुजी पाठा गीत के मूल बोल
पल्लंगुजी पाठा गीत 🎵
पल्लं पल्लं पल्लंगुजी
कुट्टी वित्तु कलंगुजी
अम्मा कोडुथा पक्कम
अप्पा कोडुथा सोडम
ओडी ओडी पोरम
अडा अडा वरम
एन कईल सत्तई
उन कईल पत्तई
पल्लंगुजी वंदे
मंगलम वंदे
जीवनम सुखम
विजयम लभम
🎶 गीत का अर्थ:
पल्लंगुजी खेलते हैं
छोटे-छोटे गोले बिखेरते हैं
माँ देती है पक्कम (जीत)
पिता देते हैं सोडम (बोनस)
दौड़ते-दौड़ते लड़ते हैं
कदम-कदम पर आगे बढ़ते हैं
मेरे हाथ में सत्ता (शक्ति)
तुम्हारे हाथ में पत्ता (पत्ते)
पल्लंगुजी को प्रणाम
मंगल को प्रणाम
जीवन में सुख
विजय प्राप्त हो
गीत के विभिन्न संस्करण
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में पल्लंगुजी पाठा गीत के अलग-अलग संस्करण प्रचलित हैं। तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इसके विविध रूप देखने को मिलते हैं।
गीत का शैक्षिक महत्व
यह गीत बच्चों को गिनती, जोड़-घटाव और रणनीतिक सोच विकसित करने में मदद करता है। गीत के माध्यम से बच्चे खेल-खेल में गणित सीखते हैं।
टिप्पणियाँ
बहुत ही उम्दा जानकारी! मेरे बचपन की यादें ताजा हो गईं। धन्यवाद!
मैंने अपने बच्चों को यह गीत सिखाया है और वे बहुत खुश हैं। यह सचमुच हमारी संस्कृति का खजाना है।